आधी आबादी का आधा आकाश
('रामकृष्ण डोंगरे' हिन्दी ब्लोगिंग जगत में एक सशक्त हस्ताक्षर हैं । सम्प्रति अमर उजाला दिल्ली में उप संपादक पद पर कार्यरत हैं । रामकृष्ण डोंगरे की इस कविता में आधी आबादी की हसरतें आधे आकाश की बजाय पूरा आकाश पाने की है । डोंगरे ने जब ये कविता पाने कालेज में सुनाई तो उसका विवरण भी यहाँ दिया है । आधी आबादी पूरा आकाश पाना चाहती है शायद यही सही है)
हम आधा आकाश मांगते हैं ।
अपने लिए
जगह एक खास मांगते हैं ।
अंधेरों को चीर के रख दें,
ऐसा एक प्रकाश मांगते हैं ।
पुरुषों तुमसे हम
अपने लिए विश्वास मांगते हैं ।
हमें भी दो मौका कुछ कर गुजरने का ।
हमें स्थान तुमसे आगे नहीं चाहिए
स्थान हम अपना पास -पास मांगते हैं ।
अपने लिए नहीं
इस दुनिया के विकास के लिए
आधा आकाश मांगते हैं ।
आधा आकाश मंगातें हैं ।
अपने लिए जगह एक खास मांगते हैं ।
लेखक का ब्लॉग:
http://dongretrishna.blogspot.com
2 टिप्पणियाँ:
MAZZA NAHI AAYA DONGRE SAHEB
MAZZA NAHI AAYA DONGRE SAHEB
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