प्यार, पैसा, हिन्दी और चाँद का कुर्ता
कैटरिना कैफ गेमा और हिन्दी । कैटरीना कैफ को आप सब जानते हैं । गेमा को फिलहाल सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ। (इस लेख को पढने के बाद आप भी गेमा को जान जायेगें) आप सोच रहे होंगे दोनों का आपस में क्या वास्ता ? दरअसल, ये दोनों ही हिन्दी भाषा को शिद्दत से सीखना चाहती हैं । लेकिन दोनों के उद्देश्य अलग अलग हैं । मेरा मित्र जोगिन्दर पवार लन्दन में हैं । पिछले दिनों जोगिन्दर भारत आया हुआ था । जोगिन्दर की गर्ल फ्रेंड गेमा हिन्दी सीखना चाहती है । उसे हिन्दी सीखनी है क्योंकि उसका मानना है कि जब वो भारत में आए (दुल्हन बनकर ही) तो जोगिन्दर के परिजनों से हिन्दी में बात कर सके उन्हें उनकी भाषा में समझ सके। दरअसल, प्यार में अक्सर ऐसा ही होता है कि प्यार प्रेमी की भाषा से भी हो जाता है. ऐसा भी कहा जाता है यदि आप की दिलचस्पी किसी भाषा में अचानक बढ़ रही है तो कहीं न कहीं ये मामला प्यार का हो जाता है।
कैटरीना कैफ को हिन्दी सीखनी है क्योंकि वो हिन्दी फिल्मों में काम करती है. हिन्दी के बिना उसका गुज़ारा हिन्दी फिल्मों में लंबे अरसे तक हो नही सकता .कैटरीना ये बात अच्छी तरह जानती है , सो हिन्दी कैटरीना के मामले में पैसे की भाषा है। हिन्दी बाज़ार की भाषा बन रही है और हिन्दी प्यार की भाषा भी है। ब्लोगिंग में हिन्दी प्रेमी बढ़ चदकर अपना योगदान दे रहे है. न केवल देश में बल्कि विदेशों में बसे हिन्दी भाषी विविधता पूर्ण सौगात हिन्दी भाषा में दे रहे है । हिन्दी विज्ञापन, मीडिया ,सिनेमा इन्टरनेट हर तरफ धूम मचा रही है ।
लेकिन चाँद अपनी माँ से जिद कर रहा है । उसे कुर्ता चाहिए .सर्दी उसे तंग करती है .रामधारी सिंह दिनकर की यही शैली उन्हें अलग करती है .छोटे प्रतीकों से बड़ी बात कहने की उनकी कला हमारे हिन्दी साहित्य की अनमोल सम्पदा है . उल्टा तीर पत्रिका "दिनकर "का यह अंक विश्व हिन्दी दिवस और दिनकर जन्म शती के अवसर पर आप सभी के लिए प्रस्तुत है …
कैटरीना कैफ को हिन्दी सीखनी है क्योंकि वो हिन्दी फिल्मों में काम करती है. हिन्दी के बिना उसका गुज़ारा हिन्दी फिल्मों में लंबे अरसे तक हो नही सकता .कैटरीना ये बात अच्छी तरह जानती है , सो हिन्दी कैटरीना के मामले में पैसे की भाषा है। हिन्दी बाज़ार की भाषा बन रही है और हिन्दी प्यार की भाषा भी है। ब्लोगिंग में हिन्दी प्रेमी बढ़ चदकर अपना योगदान दे रहे है. न केवल देश में बल्कि विदेशों में बसे हिन्दी भाषी विविधता पूर्ण सौगात हिन्दी भाषा में दे रहे है । हिन्दी विज्ञापन, मीडिया ,सिनेमा इन्टरनेट हर तरफ धूम मचा रही है ।
लेकिन चाँद अपनी माँ से जिद कर रहा है । उसे कुर्ता चाहिए .सर्दी उसे तंग करती है .रामधारी सिंह दिनकर की यही शैली उन्हें अलग करती है .छोटे प्रतीकों से बड़ी बात कहने की उनकी कला हमारे हिन्दी साहित्य की अनमोल सम्पदा है . उल्टा तीर पत्रिका "दिनकर "का यह अंक विश्व हिन्दी दिवस और दिनकर जन्म शती के अवसर पर आप सभी के लिए प्रस्तुत है …
लेखक का ब्लॉग:http://dilseamit.blogspot.com
7 टिप्पणियाँ:
दिनकर जी पर
काफी अच्छी पत्रिका ... बन पड़ी है ...
उल्टा तीर टीम बधाई की पात्र है ...
सागर भाई , अमिताभ भाई और
सभी साथियों को बहुत -बहुत बधाई .
बचपन से सुनते आए है कि ...
पुराने लोगों ने हाथ से लिखकर
पत्रिका निकली थी .
सोचने भर से ही ...
पसीना आने लगता है ...
और उल्टा तीर कि टीम की-बोर्ड पर
अंगुली चलाकर लगातार पत्रिका निकल रही है ...
पहले जश्ने-आज़ादी और अब दिनकर ... काबिलेतारीफ है भाई ...
RAMKRISHNA DONGRE
http://dongretrishna.blogspot.com
आप सभी महानुभाव अच्छा कार्य कर रहे है .इसे जारी रखिये
आपके द्वारा किया जिक्र तारीफे काबिल है हम स्वयम कितनी भाषा जानते होगे इसलिए सभी सभी भाषा नही जन सकता और जानकर उसका प्रयोग नही करता अपराधी केवल वाही है
इसमे कोई बुराई नही बल्कि मैं तो कहता हूँ हमें उनकी मदद करनी चाहिए लकिन कितनी दुख की बात हैं की बाहर वाले हमारे संस्कृति को अपना रहे हैं और हम उनसे ही दूरं भाग रहे हैं
kisi na kisi swarth ke liye hi sahi....agar yeh log hindi sikhna chaahaten hai to hume khushi hi hogi!... aapaka post bahut hi achchha laga dinkarji!
भाई अमित आप को मेहनत करते हो और जो दिशा आपके लेख में होती है उसके आगे मैं क्या कहूं जीओ भाई जीओ
gama ko badhai
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