किसी का सगा नही हरा धनिया
सम्हार कोना च नाई होणार। उमरानाला मे ये कहावत काफी मशहूर है । हरे धनिये के बारे मे दरअसल ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके दाम हमेशा घटते बढ़ते रहते हैं । हरे धनिया पत्ते को हमारे क्षेत्र मे सम्हार कहा जाता है। वैसे उमरानाला के आस पास सब्जियों की पैदावार काफी होती है .और यहाँ की सब्जिया नागपुर मंडी से बहुत दूर दूर तक जाती है .उमरानाला की सब्जियों उमरानाला सब्जियों के लिए लिए नागपुर मंडी मे अच्छे दाम मिलते है। उमरानाला सब्जियों के लिए पूरे क्षेत्र मे मशहूर है ।
नागपुर मंडी मे सम्हार के घटते बढ़ते दामों पे गाँव के किसानों की पैनी नज़र रहती है। मुझे बचपन के दिनों के एक किस्से की अक्सर याद आती है शायद ये मई की बात है सम्हार की अच्छी पैदावार होने की वजह से बाज़ार मे सम्हार के दाम अचानक गिर गए थे किसानों को बाज़ार तक सम्हार लाना भी महंगा पड़ रहा था ओर किसान खेत मे काम करने वाले मजदूरों को भी मजदूरी नही डे पा रहे थे । उस समय लगभग बीस दिनों तक सम्हार बिल्कुल मुफ्त ही मिल रही थी । फ़िर अचानक सम्हार के दाम आसमान छूने लगे। सम्हार के दाम बढ़ रहे थे मुफ्त मे मिलने वाली सम्हार बाज़ार से गायब हो रही थी । घरों मे चटनी दाल के बघार से सम्हार एकदम लुप्त थी । उस समय सम्हार सौ रूपये किलो तक पहुँच गई थी । मुझे अच्छी तरह याद है बारिश के दिनों मे भी सम्हार की पैदावार जब कम हो जाती है। तो सम्हार का स्वाद भी अच्छा लगने लगता है । मैंने महसूस किया है जब सम्हार के दाम आसमान छूटे हैं तो इसका ज्याका बहुत अच्छा लगाने लगता है तो वहीं जब सम्हार सस्ती होती है और इसकी ढेर सारी मात्रा मे घर पे आती है तो इसका स्वाद न जाने क्यों अच्छा नही लगता ।
शाम के वक्त खेतों मे सम्हार की खुशबू पूरे महल को मदमस्त बना देती है । सम्हार की फसल मे बहुत मेहनत लगती है। कभी कभी मुझे इसमे अध्यात्म भी नज़र आता है। खेत मे किसान जब सम्हार की फसल पे जी तोड़ परिश्रम करता है तो मुझे लगता है हरी सम्हार जैसे हरी की सेवा हो । खाने मे मुझे सम्हार का हर जायका बहुत पसंद है मम्मी सम्हार की लहसुन अदरक के साथ जो चटनी बनती है वो मुझे बहुत अच्छी लगती है । सम्हार का तड़का लगाकर अरहर की दाल का स्वाद दुगना बढ़ जाता है । सम्हार की बड़ी भी बहुत स्वादिष्ट होती है .
सम्हार के दाम जब बढ़ जाते है तो बड़े वाले महाराज के बडों से भी ये गायब हो जाती है । होटलों के नास्तों मे वो मज़ा नही होता । किसान जब ट्रक मे सम्हार नागपुर मंडी के लिए भेजता है तो वो सुबह के इंतज़ार मे सारी रात इस चिंता मे नही सोता कि उसकी सम्हार न जाने किस दाम पे बिकेगी ?दरअसल सम्हार एक मायावी फसल है जो कब आसमान पे जाए कब ज़मीन पे उतरे इसका अंदाज़ कोई नही लगा सकता । सम्हार वाकई मे किसी का सगा नही होता॥
(आभार : उमरानाला पोस्ट)
1 टिप्पणियाँ:
रचना काफी अच्छी है लकिन शायद ये जगह और बहस के लिए ठीक नही है
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