रविवार, 3 अगस्त 2008

गीतों के गहने (आज़ादी के तराने )


गीतों के गहने (आज़ादी के तराने)

"आज़ादी की चाह किसे नही होती .आज़ादी की लडाई में कवियों ने शायरों ने आज़ादी के आन्दोलन को दिशा और गति देने के लिए जो तराने गढे वो आज भी हमारे लबो पर अमर गान बनकर सदा के लिए हमारे दिलों में रच बस गए .जश्ने आज़ादी में ऐसे ही कुछ तराने गुनगुना लेते है.उल्टा तीर (जश्ने आज़ादी २००८) के सुधि पाठकों के लिए राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत गीतों के गहने . आज़ादी के परवानों को इन गीतों ने ऊर्जा और ऊष्मा दी . गीतों की यह लहरियां आज़ादी के परवानों के कंठ का गान बनी. इन गीतों को आज भी पीढियां गुनगुनाती हैं .ये गीत आज भी देश प्रेम की अलख को हमारे भीतर जगा रहे हैं."
(संकलन एवं प्रस्तुति :सुखदेव डोंगरे "दीप ")

एक भारतीय आत्मा की अमरकृति

माखन लाल चतुर्वेदी "एक भारतीय आत्मा" की अमर कृति माखन लाल चतुर्वेदी जी की रचनाओं में प्रतीकों का गहरा अर्थ छिपा होता है .पुष्प की अभिलाषा के माध्यम से उन्होंने सादगी से देश प्रेम के भावों की अभिवक्ति की है .

चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूंथा जाऊँ
,
चाह नहीं प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ
,
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर
, है हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं
, देवों के शिर पर,
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!

मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक
,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जावें वीर अनेक।


प्यारे भारत देश

गगन-गगन तेरा यश फहरा
पवन-पवन तेरा बल गहरा
क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले
चरण-चरण संचरण सुनहरा

ओ ऋषियों के त्वेष
प्यारे भारत देश।।


वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी
प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी
उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक
मानो आँसू आये बलि-महमानों तक

सुख कर जग के क्लेश
प्यारे भारत देश।।


तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे
तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे!
राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी
काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी
बातें करे दिनेश
प्यारे भारत देश।।


जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे
हम सब एक
, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे
सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं
काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं

श्रम के भाग्य निवेश
प्यारे भारत देश।।


वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे
उठ आई यह भरत-मेदिनी
, शीतल मन्द समीरे
बोल रहा इतिहास
, देश सोये रहस्य है खोल रहा
जय प्रयत्न
, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा,
जय-जय अमित अशेष
प्यारे भारत देश




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