गुरुदेव का शिल्प
इस कविता में गुरुदेव ने भय से मुक्त ,एक राष्ट्र की कामना की है । गुरुदेव इस शिल्प के माध्यम से भारत के हर नागरिक का सर गर्व से उठा हुआ चाहते है। गुरु देव की इस कामना को हम अपने जीवन से जोड़ ले .और वास्तव में एक ऐसा देश बनाये जहाँ हर नागरिक अपने आप को भयमुक्त और उम्मीदों से भरा हुआ महसूस करे ।
Where mind is without fear and the head is held high;
Where knowledge is free;
Where the world has not been broken up into fragments by narrow
domestic walls;
Where words come out from the depth of truth;
Where tireless striving stretches its arms towards perfection;
Where the clear stream of reason has not lost its way into the
dreary desert sand of dead habit;
Where the mind is led forward by thee into ever-widening thought
and action--
Into that heaven of freedom, my Father, let my country awake
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें