हम कहाँ है ?
(आलेख : विपिन जैन)
यह राष्ट्रीय त्यौहार भारत के गौरव का प्रतीक हैं ।15 अगस्त 1947 को भारत के निवासियों ने लाखों कुर्बानियां देकर ब्रिटिश हुकुमत से आज़ादी प्राप्त की थी । इसी महान दिन की याद में भारत के प्रधानमन्त्री प्रत्येक वर्ष लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। और जब तिरंगा फहराया जाता है, हमारा राष्ट्र गान गाया जाता है तो न जाने कहाँ से हमारे अंदर राष्ट्रभक्ति की भावना आजाती है, भावना भी एसी की अभी लड़ने मरने चले जाए मगर क्या यही आज़ादी की खुशी या सकूँ है, मैं एसा नही मानता.
जब 1947 को हम आज़ाद हुए थे लगभग उसी वक़्त 1945 को दूसरे विश्व युद्द में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम से तबाह हुए थे, हम भी टूटे हुए बिखरे हुए थे, हम तो लुट चुके थे, जापान भी तबाह था, हम दोनो को (भारत और जापान)ज़ीरो से शुरू करना था, दोनो ने किया भी, मगर आत्ममंथन की ज़रूरत है की हम कहाँ है और जापान कहाँ है, एसा नही है की हमने कुछ नही किया, हमने बहुत किया और सराहनीय था। मगर हम लेट है, हमसे बहुत कुछ पीछे छूट गया है, आज महत्वपूर्ण ये नही की हमे आत्नकवाद, जातिवाद ,ग़रीबी, भ्रष्टाचार या दूसरी सामाजिक समस्याओ से लड़ना है, हमे तो लड़ना है अपने देश के आर्थिक और औद्योगिक विकास के लिए । हम तभी स्वतंत्र होंगे जब हम कह पाएँगे की हम विकसित है विकासशील नही।
3 टिप्पणियाँ:
Sach haie hum aajad hokar bhi azaad nahi hum sabko abhi bhi gulami ki janjeeron ne jakad rakha haie.humara desh utkrisht sanskriti ke liye jana jata haie fir bhi humsab kyon apni sanskriti ko aakhri saanse lete hue dekhte haie hum azaad kaha haie, kyon basant ki manbhavan batavaran mein log vasantoutsav na manate hue valentine day ko mahetva dete haie.
mamta ki mratyu bebas cheekhti manav aatma jindagi ke liye tarasti haie, sone ke chidiya kaha jane baala Bharat mein pratibha ka sadupyog videshon mein hota haie.
aaj hum yad kar lete haie shahidon ko kyonki 15 august haie aur desh bhakti ke geeton se hi hummein desh ke liye prem jagrit hota haie sirf isliye kyonki hum samay ki andhi daud mein sab bhoolkar kebal swayam ko yad rakhte haie.hum aajad hokar bhi aazad kaha haie???
जो देश पूजता अपने अमर शहीदों को
वह देश, विश्व में ऊँचा आदर पाता है,
वह देश हमेशा ही धिक्कारा जाता, जो
अपने शहीद वीरों की याद भुलाता है ।
ये पंक्ति बहुत कुछ कह देती है आपके विकास के विषय मे हमे विदेशी विकाश नही चाहिए हमे भारत को उस महानता के शिखर पर पहचाना है जहा से सब दुनिया वाले एक हो जाते है हर गरीब अमीर ,छोटा बड़ा भाई भाई हो वाही है हम भारतीयों का विकाश
"उल्टा तीर" पर आप सभी के अमूल्य विचारों से हमें और भी बल मिला. हम दिल से आभारी हैं. आशा है अपनी सहभागिता कायम रखेंगे...व् हमें और बेहतर करने के लिए अपने अमूल्य सुझाव, कमेंट्स लिखते रहेंगे.
साथ ही आप "हिन्दी दिवस पर आगामी पत्रका "दिनकर" में सादर आमंत्रित हैं, अपने लेख आलेख, कवितायें, कहानियाँ, दिनकर जी से जुड़ी स्मृतियाँ आदि हमें कृपया मेल द्वारा १० सितम्बर -०८ तक भेजें । उल्टा तीर पत्रिका के विशेषांक "दिनकर" में आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
साथ ही उल्टा तीर पर भाग लीजिये बहस में क्योंकि बहस अभी जारी है। धन्यवाद.
अमित के. सागर
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