एक सोच आतंकवाद पर
[बबिता पंवार]
आज हम जब भी आतंकवाद की बात करते है तो उसे इस्लामी आतंकवाद से जोड़कर देखते है या फ़िर हम उसेआतंकवाद कहते है जिसे हमारे राजनेता आतंकवाद कहते है आज भी रास्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने इस और इशारा किया है की हमारा पडोशी देश आतंकवाद को शय दे रहा है लकिन वो ये सब जान कर भी कुछ नही कर सकते क्युकी उनको अपनी जनता यानि हम सभी भारतीयों पर यकीन नही है की कल अगर कोई सरकार युद्ध जितना बडा फ़ैसला ले तो भी क्या जनता साथ देगी और यदि देगी भी तो युद्ध की विभीषिका तो सभी जानते है की हर तरफ वीराने ही होंगे तो क्या है आतंकवाद का हल और क्या है आतंकवाद।
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आपको मालूम नही है या जानकर भी अनजान बने रहते हो .भारत का विभाजन बिर्टेन के देन है और हर ताकतवर देश (अमेरिका ) ये चाहता है की उसका गुलाम कभी भी आजाद न हो आम नागरिक जो आराम से रहेगा तो ताकतवर लोगो को कौन पूछेगा ये सब हक की लडाई है जब तक दुनिया मई गरीबी होगी ये ज़ंग नए - नए नाम से होती रहेगी।
शायद मै गलत हूँ लकिन क्या ये कारण काफी नही मेरी इस बात के सहमती के लिए
जय करो गरीबो के नाथ की जय करो हिन्दुस्तान की।
1 टिप्पणियाँ:
आपका लेख सुंदर लिखा है आपके विचार उतेजक भी है किसी भी देश पर ऊँगली उठाना आज देश की विदेश नीति का विषय बन सकता है लेकिन आप का ये कहना की अपनी समस्या हमे स्वयम सुलझाने का प्रयाश करे बहुत ही अच्छा विचार है जिसकी भूरी - भूरी प्रसंशा करनी चाहिए
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