लड़ें फ़िर अब
मुंबई से
[मुनव्वर सुल्ताना बदरुल हससन "सोनी हसोणी"]
[मुनव्वर सुल्ताना बदरुल हससन "सोनी हसोणी"]
इस दुनिया से हमने क्या पाया
ख़ुशी के बदले दर्द ही हाथ आया
हिंदू-मुस्लिम कहते थे भाई-भाई
आज इन्होने ही भाई का दिया बुझा डाला
इन लोगों ने हर तरफ़ आंसुओं को बहाया
अपना कहकर अब पराया बनाया
दिल रो उठता है हर उस माँ का
जिनके बच्चों ने अपनों को मार डाला
या इलाही! दूर करदे हर उस बात को, नौजवानों से
जिसने उसे इंसान से हैवान बनाया
लडें फ़िर अब उस शान्ति की क्रांति को
जिसने पराये को भी अपना बनाया
ख़ुशी के बदले दर्द ही हाथ आया
हिंदू-मुस्लिम कहते थे भाई-भाई
आज इन्होने ही भाई का दिया बुझा डाला
इन लोगों ने हर तरफ़ आंसुओं को बहाया
अपना कहकर अब पराया बनाया
दिल रो उठता है हर उस माँ का
जिनके बच्चों ने अपनों को मार डाला
या इलाही! दूर करदे हर उस बात को, नौजवानों से
जिसने उसे इंसान से हैवान बनाया
लडें फ़िर अब उस शान्ति की क्रांति को
जिसने पराये को भी अपना बनाया
2 टिप्पणियाँ:
atanbad ki is jang me ham apke sath hai.shabdon ki is maya nagary me apka swagat hai.
बहुत सुंदर शब्दों मे बड़े मर्मात्म्क ढंग से लिखा है और इसमे एक सच्ची बात भी है की आज देश के हालत ऐसे ही है
भाई साब बहुत अच्छा लिखते और लिखते रहिये
एक टिप्पणी भेजें