मंगलवार, 27 जनवरी 2009

संकल्प


और अंततः एक संकल्प हम सभी को अपने ह्रदय की सच्चाई और गहराईयों से लेना है । हम सब आतंकवाद के खिलाफ इस बड़ी लडाई में जाति मजहब पंथ की सरहदों से आगे बढ़कर एकजुट होकर एक ईकाई की तरह मिलकर लड़े । उल्टा तीर पत्रिका के इस अंक में आप सभी की सहभागिता रचनात्मक योगदान के लिए उल्टा तीर दिल से आप सभी का आभार व्यक्त करता है ।

उम्मीद है भविष्य में भी आप सभी का सहयोग और प्रेम हमें यूँही मिलता रहेगा । दरअसल अब ये वक्त आ गया है कि हम सभी अपनी सामाजिक राजनैतिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी का निर्वहन पूरी निष्ठा से करे । दुष्यंत कुमार और अमिताभ की इन पंक्तियों के साथ हम अगले अंक तक आपसे अनुमति चाहते हैं ।

"कौन कहता है कि आसमाँ में सुराग नही हो सकता
एक
पत्थर तो तबियत से उछालो यारो "
[दुष्यंत कुमार]
एक लौ जला ले अपने भीतर
हर मुश्किल तितर बितर कर दे
नए दौर को लाने के लिए
आगे बढ़ हालात से लड़ ले
[अमिताभ]

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