सोमवार, 22 सितंबर 2008

अभी दूर बहुत चलना है


आँखे
अगर स्वप्न देखे तो जीवन बड़ा नीरस हो जाएगा .अपने छोटे छोटे प्रयासों के माध्यम से हम सभी उम्मीदके नए वातावरण को अपने इर्द गिर्द बना सकते हैं .उल्टा तीर की शुरुआत को हम अपनी ओर से एक छोटा साप्रयास ही मानते हैं .जिसमें आप सभी की सहभागिता हमारे उत्त्साह को दुगना करती है

उल्टा तीर की समूची टीमआप सभी के रचनात्मक सहयोग और योगदान के ह्रदय की गहराइयों से साधुवाद व्यक्त करती है .इस आशा केसाथ भविष्य में भी आप सभी का सहयोग व् स्नेह हमें यूँही मिलता रहेगा एक स्वप्न हम सब मिलकर देख रहे है इस स्वप्न को हमें मिलकर पूरा करना है .दो कदम अभी चले हैं हम ,अभी दूर बहुत चलना है .

उल्टा तीर पत्रिका का यह दूसरा अंक आपको कैसा लगा हमें अपने सुझावों अवश्य भेजिए .ताकि भविष्य में हमआपको और भी अधिक रोचक और पठनीय सामग्री इस पत्रिका के माध्यम से देते रहे .साथ ही
लेखों की सजावटमें उपयोग आए चित्रों के लिए हम उन सभी का आभार भी व्यक्त करते है मूलतः जिनके ये चित्र हैं


आभार और साधुवाद के साथ
उल्टा तीर टीम

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