सोमवार, 4 अगस्त 2008

जीवन मोती


सच्चा मित्र
इस संसार में हमरे तीन मित्र होते है । इस छोटी सी कहानी को पढ़कर आप ही तय करे कि इनमें कौन हमारे लिए सही और सच्चा मित्र है ? कौरवों ने सोचा था कि उनके साथ कर्ण जैसे महान वीर योद्धा है द्रोण जैसे आचार्य हैं । इसलिए उन्होंने सोचा कि वे किसी पर भी विजय पा सकते हैं । अन्य लोगो की शक्ति और सामर्थ्य का भरोसा करते हुए वे पांडवों को सताते रहे । उन्होंने वे काम भी किए जो उन्हें नही करने चहिये थे . जो काम हम नही करना चाहिए ,उसे यदि हम करते है तो दंड का भागी बनते हैं । इस वजह से हमें कभी- कभी न्यायालय भी जाना पड़ सकता है।

हम गवाही के लिए अपने प्रथम मित्र के पास जाते है । वो कहता है कि मैं घर पर बैठकर ही गवाही दूँगा किंतु अदालत नही जाऊंगा । दूसरा मित्र कहता है मैं अदालत तक चलूँगा लेकिन कमरे के भीतर नही जाऊंगा । आखिरकार हम तीसरे मित्र के पास जाते हैं । वह कहता है कि अदालत में गवाही देने भर की क्या बात है ,मैं तो तुम्हारे साथ जेल तक जाने के लिए तैयार हूँ

दरअसल ,सच्चा मित्र वही है जो हर वक्त में हमारा साथ निभाता है .तो आप ही निर्णय कीजिए आप कैसा मित्र बनाना या बनना चाहते है ?

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