सोमवार, 4 अगस्त 2008

तलवार कब तक नखरे सहे, इस खाली म्यान के ?


न लिखना, न पढ़ना
न बोलना , न मुंह खोलना
और तो और
सोचना तक नहीं !

क्या हो गया इन लोगो को ?
पराश्रित चेतना का
यह असूर्य समय कब बीतेगा
? (श्री बालकवि बैरागी)

कोई भी बड़ा बदलाव सकारात्मक सोच के बिना हो ही नही सकता. समाज में परिवर्तन आते है तो निश्चित ही उसके गर्भ में सकारात्मक सोच ही छिपी होती है . हम अपनी आज़ादी का ६१ वाँ जश्न मना रहे है . समाज में हर स्तर पर बदलाव हो रहे है .बदलाव समय के साथ-साथ चलने वाली एक सतत प्रक्रिया है. बदलाव समय तथा परिस्तिथि के बीच का विशुद्ध समीकरण है. किसी भी समाज में जब बड़े बदलावों की पहल होती है, तो समाज इससे ख़ुद को बचाने का प्रयास करता है . इस बचाव में जो समूह सामने आता है, उसकी सोच नकारात्मकता से भरी होती है . आज बड़ा सवाल यही है कि मुठ्ठी भर नकरात्मक लोगो के लिए आख़िर कब तक समाज अपना कीमती वक्त जाया करे . दरअसल , ऐसा हमारे बीच होता है .हमारे आस पास होता है .यकीनन ये वे ही लोग होते हैं जो ख़ुद भी हाथ पर हाथ धरे रखते है .और समाज से भी इसी तरह की निष्क्रियता चाहते हैं . सवाल उठता है कि आख़िर कब तक समाज इन लोगो को तूल देता रहे ? जश्ने आज़ादी के अवसर पर सम्प्रति ये महत्वपूर्ण है कि हम अब अपनी सोच को बदले .गौर से देखे कि हम अपने स्तर पर समाज और देश के लिए क्या कर सकते है . हमारे छोटे -छोटे प्रयासों से हम अपनी और आने वाले कल की तस्वीर बदल सकते है . यदि हम अपनी अंतरात्मा से देश के लिए वाकई में कुछ करना चाहते है . तो हमें अब खाली म्यान के नखरों को उठाना बंद करना होगा .यही वो रोढा है, जो हमारी सोच को रोकता है .बदलाव को रोकता है . दरअसल , समाज की राष्ट्रकी चुनौतियाँ हम सब का सामूहिकदायित्व है . आज़ादी के ६१वे जश्न केमौके पर हमें ये बात दिल में आयतकी तरह उतार लेनी चाहिए इक़ नए कल के निर्माण के वास्ते ये ज़रूरी भी है।

1 टिप्पणियाँ:

karmowala 9 अगस्त 2008 को 9:20 am बजे  

हम अब अपनी सोच को बदले . हमारे छोटे -छोटे प्रयासों से हम अपनी और आने वाले कल की तस्वीर बदल सकते है .काफी अच्छा लगता है ऐसा पड़ना लकिन क्या हम बदले नही है गुलाम थे तो हमारे नेता हम कर ने देने के लिए कहते थे और आज सरकार हर वस्तु पर कर लेती है कभी कभी तो कई गुना कभी अनुमान लगाया है की इमानदारी से कर चुकाने वाला आजाद होने के बाद कितने कर चुकाता है शायद नही हर वस्तु पर लगा कर सेवा कर ,बिक्री कर ,मनोरंजन कर,और तो और यदि आप एक बच्चे से ज्यादा पैदा किया तो देश मे लोकतंत्र के चुनाव मे खड़े नही हो सकते तो आप ही रखो ऐसे आज़ादी और सब समाज का कर आप ही भरो क्युकि सरकार तो कर चोरो के साथ है तभी तो सभी नेता और अधिकारी अक्सर C.A. की मदद लेते है और मुमकिन कर चुरा लेते है

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