शनिवार, 2 अगस्त 2008

चलो उजाले की ओर


एक सामूहिक दुआ है. उजालों की ओर बढ़ने की प्रार्थना है. सर्वप्रथम आप सभी पाठकों, रचनाकारों का उल्टा तीर ह्रदय से आभारी है. आप सभी के अनमोल सहयोग की वज़ह से ही इस पत्रिका और जश्न को आकार मिला. उल्टा तीर विचारों का आपका अपना मंच है. ज़िन्दगी में जश्न मनाने के पीछे मानवीय मंशा यही होती है कि जश्नों के माध्यम से हम ज़िन्दगी में उजालों को भर सकें. भारत केवल एक देश नही है, विचारों और जीवन को जीने की एक संस्कृति का नाम है. जीवन में प्रकाश भरने का नाम है ,कला है. इसलिए भी सदियों से भारत ने दुनिया को रौशनी दी .जश्ने आज़ादी २००८ का एक अर्थ ये भी है .आभा में अब ये देश रत हो जाए भारत भारत हो जाए ...!


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